रात ११ बजे के बाद ‌‌‌‌--भाग १ Rajesh Maheshwari द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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रात ११ बजे के बाद ‌‌‌‌--भाग १

राकेश और गौरव गहन सदमे की स्थिति में थे उन्हें विश्वास नही हो रहा था कि उनका मित्र आनंद अब इस दुनिया में नही हैं। राकेश ने गौरव से कहा कि मानव जीवन बहुमूल्य होता है क्योंकि यही हमारी सभ्यता, संस्कृति और संस्कारों को बनाता है। हमारा जीवन और मृत्यु प्रभु के हाथों में है हम किसी पटकथा के नाटक के पात्र के रूप में आते हैं अपना पात्र निभाकर एक दिन अनंत में विलीन हो जाते है इसी में सुख दुख निहित है। मेरा मन मान नही रहा है कि हमारा मित्र आनंद हमसे बिछुड़ गया है। मैं मानता हूँ कि इस दुनिया में जिसका जन्म हुआ है उसकी एक दिन मृत्यु होकर वह अनंत में विलीन हो जाता है परंतु आनंद की अकस्मात् मृत्यु ने मुझे अंदर तक हिला दिया है। मुझे कितनी आंतरिक वेदना है मैं तुम्हें शब्दों में नही बता सकता हूँ।

गौरव बोला मैं तुम्हारी भावनाओं को समझ सकता हूँ। आनंद मेरा सबसे प्रिय मित्र ही नही मेरे परिवार के सदस्य के समान था, हम अपनी कठिनाईयों का एक दूसरे से वार्तालाप करके उनका निदान करते थे। उसके नही रहने से मैं जीवन में एकदम अकेला रह गया हूँ। मेरे यह समझ में अभी तक नही आ रहा है कि वह बुद्धिमान, व्यवहारिक एवं निड़र व्यक्ति था उसने ऐसा क्यों किया ? इसके बाद वे आनंद के घर जाने के लिये कार में रवाना हो गये। वहाँ पहुँच कर उन्हे बताया गया कि आनंद के परिवारजनों को इस दुखद घटना की सूचना दे दी गई है और वे सभी प्रातः काल तक यहाँ पहुँच जायेंगे। उन्हें यह भी बताया गया कि डाक्टर ने जाँच करके हृदयाघात से स्वाभाविक मृत्यु का होना बताया है। दोनो कुछ देर वहाँ रूकने के पश्चात वापस घर चले गये। रास्ते में राकेश के ड्राइवर मोहन ने बताया कि साहब मैंने आनंद साहब की मृत्यु के संबंध में उनके ड्राइवर हरीश एवं उनके नौकर रामसिंह से अजीब बातें सुनी है। राकेश ने उससे पूछा कि क्या बातें सुनी है ? वह बोला कि कुछ लोग कहते हैं कि आनंद ने आत्महत्या करके अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली परंतु कुछ लोगों का कहना है कि यह उसकी स्वाभाविक मृत्यु है और कुछ लोगों का मत है कि उनकी मृत्यु के पीछे कोई साजिश है। यह सुनते ही गौरव ने राकेश की ओर देखा और आश्चर्यचकित होकर कहा कि यह क्या कह रहा है ? हमें इसकी बातों की सच्चाई तक जाना चाहिये। यह सुनते ही वे तुरंत अपनी गाडी आनंद के घर की ओर लौटाते है।

आनंद अकेला ही रहता था उसके दोनो बेटे दुबई में रहते थे एवं पत्नी बैंकाक में अपने माता पिता के पास रहती थी। राकेश ने गौरव से कहा कि हम अपने मित्र की मृत्यु के विषय में पूरी जानकारी मालूम करें तभी हम किसी निर्णय पर पहुँच सकेंगे। हमें उस चिकित्सक से मिलना चाहिये जो कि उस रात आनंद को देखने आया था। हमें उससे काफी जानकारियाँ मिल सकती है। राकेश आनंद के ड्राइवर और उसके नौकर से पूछताछ करता है। उस नौकर ने बताया कि साहब डाक्टर के आने के पहले ही साहब ने आत्महत्या कर ली है इसकी सूचना फोन के द्वारा दी गयी थी यह फोन पी बी एक्स के नंबर से किया गया था रात में आठ बजे के बाद साहब का पी बी एक्स आपरेटर चला जाता है तब रात में दस बजे किसने फोन किया यह किसी को नही मालूम। रात में आपरेटर के जाने के बाद पी बी एक्स के कमरे का दरवाजा ताला लगाकर बंद करके दरबान चाबी अपने पास रखता था उस रात भी चाबी उसी के पास थी और किसी ने भी उससे चाबी नही माँगी तब किसने डुप्लीकेट चाबी से ताला खोल कर चुपचाप फोन किया यह रहस्य बना हुआ है। रमेश नाम का नौकर जब रात में दूध लेकर साहब के पास गया तो उसने साहब को कुर्सी पर अचेत अवस्था में देखा उसने एक दो बार साहब जी करके पुकारा परंतु उसे कोइ जवाब नही मिला तब उसने घबराकर तुरंत ही उनके डाक्टर को फोन किया और डाक्टर के यहाँ से जवाब मिला की वो विदेश गये हुये हैं तभी थोडी देर बाद दूसरा डाक्टर वहाँ पहुँच गया। रवि नाम का नौकर उनका बैग लेकर उनके साथ ऊपर आया और उन्होने जाँच करके तुरंत ही बात दिया कि अब वे इस संसार में नही है और हृदयाघात के कारण उनकी मृत्यु हो गयी है। हम सभी लोग स्तब्ध रह गये डाक्टर भी वहाँ पर बिना रूके नीचे उतर कर अपनी गाडी में वापस चला गया। उस समय रात के ग्यारह बजने को थे परंतु उनकी मृत्यु हो गयी है इसकी सूचना साढ़े दस बजे रात में किसके द्वारा दी गयी यह एक आश्चर्यजनक बात है। राकेश को भी ध्यान आया कि उसके नौकर को पौने ग्यारह के लगभग इस दुखद घटना कि जानकारी फोन पर प्राप्त हुयी थी और वह भागता हुआ मेरे पास आया और बोला कि आनंद साहब अब नही रहे।

राकेश और नौकर के बीच बातचीत चल रही थी तभी आनंद के ड्राइवर ने एक और आश्चर्यजनक बात बतायी कि सवा दस बजे के लगभग उसने साहब को चुपचाप पीछे की ओर से घर के बाहर जाते हुये देखा। लगभग उसी समय डाक्टर भी उनको देखकर कार में वापिस जा रहा था तब तक यह सबको पता हो चुका था कि साहब दुनिया में नही रहे मैं तुरंत दौडकर लिफ्ट से उनके कमरे में पहुँचा और यह देखकर स्तब्ध रह गया कि साहब का मृत शरीर जमीन पर पडा हुआ था और सभी नौकर फूट फूटकर रो रहे थे। मेरा तो दिमाग यह सोचकर चकरा गया कि वह कौन था जो कि दीवार फांदकर बाहर चला गया था। मैंने उस समय चुप रहना ही उचित समझा परंतु मैने यह बात साहब के सबसे पुराने और वफादार नौकर रमेश को बताई, हम लोगों ने आपस में विचार विमर्श करके निर्णय लिया कि आपको और गौरव जी को इन बातों से अवगत कराया जाये क्योंकि आप दोनों ही उनके सबसे निकटतम मित्र रहे हैं। यह सब सुनकर राकेश बोला आखिर यह क्या माजरा है? हम दोनो ने रवि से जानना चाहा जो डाक्टर आया था वह कौन है, उसका फोन नं. क्या है हमें उससे अभी बात करना है। उन्हें कोई भी यह जानकारी नही दे पा रहा था कि वह डाक्टर कौन था किसके कहने पर आया था और इतनी जल्दर क्यों वापस चला गया। अब गौरव अपने परिचित डाक्टर को तुरंत बुलाता है वह आकर जाँच करके मृत्यु हो जाना तो बताता है परंतु इसके कारण के विषय में वह कहता है कि बिना पोस्टमार्टम रिर्पोट के कुछ भी नही कहा जा सकता है पोस्टमार्टम कराने के लिय आपको पुलिस को सूचित करना पडेगा तभी यह संभव हो सकेगा।

गौरव राकेश को बताता है कि मैनें एक बात तुमसे नही बतायी है क्योंकि आनंद ने मुझे किसी को भी यह बात बताने से रोका था परंतु अब वह इस दुनिया में नही है इसलिये ये महत्वपूर्ण बात मैं तुम्हें बता रहा हूँ। राकेश ने पूछा ऐसी क्या बात है ? तब आनंद ने बताया कि कल शाम को आनंद मेरे घर पर आया था और काफी देर तक रहा। वह काफी निराश एवं उसके चेहरे पर घबराहट के भाव थे मैंने उससे काफी पूछने का प्रयास किया कि क्या बात है और मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकता हूँ। तुम कहो तो राकेश को भी यहाँ बुला लेते है उसने कहा कि यह मामला उसे खुद ही निपटाना होगा आप लोग मेरे साथ है यही मेरे लिये बहुत बड़ा संबल है। तभी अचानक किसी का फोन उसके मोबाइल पर आया और वह तुरंत उठकर चल दिया। वह अपनी वसीयत के संबंध में मुझसे बात करना चाह रहा था परंतु बीच में फोन आ जाने के कारण बात अधूरी रह गई। राकेश ने पूछा कि उसका ड्राइवर भी साथ में था क्या ? गौरव ने कहा, नही वह खुद ही कार चला रहा था।

यह सुनकर राकेश बोला कि यह मामला अत्याधिक संदिग्ध है इसकी सच्चाई पता करने हेतु इस मामले में पुलिस का सहयोग लेना चाहिये। इसके बाद राकेश और गौरव वापस अपने अपने घर लौट जाते हैं। दूसरे दिन सुबह ही वे आनंद के परिवारवालों को सारी बात बताकर उनसे पुलिस में मामला दर्ज करने के लिये कहते हैं। उसके परिवारजन सारी बातें ध्यानपूर्वक सुनते हैं और आश्चर्यचकित हो जाते हैं। उनका सोचना था कि पुलिस में मामला जाने से परिवार की निजी बातें उभरेंगी जिससे परिवारिक प्रतिष्ठा को आघात पहुँच सकता है। वे राकेश से कहते हैं कि आपकी और उनकी मित्रता बहुत गहरी थी इसलिये आपका ऐसा सोचना काफी हद तक सही है। उसके बेटों ने कहा कि पापा तो अब दुर्भाग्यवश रहे नही अब इस जाँच पड़ताल से क्या फायदा ? राकेश ने कहा कि हमारा फर्ज बनता था कि आपको इन तथ्यों कि जानकारी दे देवें।

इतना कहकर राकेश वापस अपने घर की ओर रवाना हो जाता हैं। वह सोच रहा था कि विधि की कैसी विडंबना है कि आनंद की अकाल मृत्यु हो गई। वह जानता था कि आनंद बुद्धिमान, साहसी एवं समयानुकूल निर्णय लेने में सक्षम था। यदि उसकी मौत स्वाभाविक थी तो उसकी आत्महत्या का फोन आने का क्या औचित्य है इसकी गहराई की तह में जाना चाहिये यदि उसके परिवारजन रूचि नही लेते तो उसे इस मामले को पुलिस में ले जाना चाहिये, यह मेरा नैतिक कर्तव्य बनता है। वह गौरव से उसकी राय माँगता है। गौरव कहता है कि जब उसके परिवारजनों को जाँच में रूचि नही है तो अपने को बीच में नही पड़ना चाहिये। इतना वार्तालाप होते होते राकेश का घर आ जाता है। वह गौरव से कहता है कि इस विषय पर तुम पुनः विचार करना।

उसके घर पहुँचन के कुछ समय बाद ही आनंद की पत्नी रेखा का फोन आता है कि भाईसाहब मैं आपके विचारों से सहमत हूँ आप तुरंत आ जाये मैं अभी पुलिस थाने जाकर इस मामले की रिपोर्ट दर्ज कराना चाहती हूँ। हमें वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से मिलकर इसे मामले की जाँच के लिये उनसे अनुरोध करना चाहिये। राकेश आनंद के घर पहुँचता है, वहाँ उसके परिवारजन बताते हैं कि उन्होने गंभीरतापूर्वक पुनः विचार किया और इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि इस बात की सच्चाई मालूम होनी ही चाहिये कि यह सामान्य मृत्यु, आत्महत्या या हत्या है। वे सभी पुलिस थाने जाकर रिपोर्ट दर्ज करा देते हैं इसकी जानकारी तुरंत ही थाने से वरिष्ठ अधिकारियों और पत्रकारों को हो जाती है, और इसके बाद विस्तृत जाँच प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जाती है और आनंद के शव को पोस्टमार्टम हेतु भेज दिया जाता है। गौरव उसके साथ जाता है।

रास्ते में गौरव के मोबाइल की घंटी बज रही थी उसने फोन उठाकर कहा हेलो। दूसरी तरफ से पल्लवी फोन पर थी वह बोली गौरव जी आप कैसे हैं। अरे तुम, कैसे फोन किया, क्या वापस आ गई हो। नही, मैं अपने हनीमून पर गोवा मैं ही हूँ, मुझे किसी का फोन आया था कि पुलिस ने आनंद की मृत्यु की जांच शुरू कर दी है। यह अच्छा हुआ कि हम दोनो तो हनीमून पर यहाँ आ गये अन्यथा हमसे भी पुलिस पूछताछ करती। हाँ, यह बात तो है, मुझसे भी जानकारी ली जायेगी मैं असमंजस में हूँ कि किन बातों को कितना बताऊँ ? आप तो उनके सलाहकार है और सबकुछ आपके कहने से ही होता रहा है। अच्छा यह बातें छोडिये और ये बताइये कि आनंद की आखरी वसीयत क्या आप के पास है ? आप उसकी मृत्यु के दो घंटे पहले आनंद के बुलाने पर उसके पास गये थे। नही, मैं नही गया था ना ही मुझे बुलाया गया था। फोन पर खिलखिलाहट की आवाज आयी, मेरी जानकारी बिल्कुल पक्की है कि आप उस रात आनंद से मिलने गये थे। यह तुम कैसे कह सकती हो ? मैं भी क्यों बताऊँ ? आप मुद्दे की बात बताइये ना क्या वसीयत आपके पास है ? सिर्फ हाँ या ना मैं कह दो। तुम्हें तो मालूम है मुझे इसकी जानकारी है कि तुम्हारी सलाह के बाद ही आनंद ने अपनी पहली वसीयत रद्द कर दी थी। मुझे इस विषय में कोई जानकारी नही है तुम राकेश से पूछो। राकेश एक मंजा हुआ व्यक्ति है उसके पेट से बात निकालना आसान नही है। आप से मेरी मित्रता भी रही है क्या आप मेरी मदद नही करेंगे। गौरव पल्लवी के इस वार्तालाप से काफी सचेत हो गया था। वह बोला इन बातों को छोडो, ये बताओ तुम वापस कब आ रही हो। पल्लवी बोली मुझे आनंद की मृत्यु का बहुत दुख है वह बहुत भला, मददगार एवं कर्तव्यनिष्ठ व्यक्तित्व का धनी होने के साथ साथ मेरा सबसे करीबी मित्र था। अब उसके नही रहने का अभाव मुझे जीवन पर्यंत रहेगा। आनंद के द्वारा कोई भी वसीयत रजिस्टर्ड नही करायी गयी है यह तुम्हारे अलावा और कही नही हो सकती है। अच्छा अब मैं फोन रखती हूँ आपसे बाद में बात करूंगी। इस फोन के आने से गौरव का माथा ठनक गया कि इसको इतनी जानकारी कैसे हो गयी। ये मामला अब उलझता ही जा रहा है और मुझे बेवजह पुलिस की जाँच पडताल में परेशान होना पडेगा। मन ही मन गौरव काफी घबरा रहा था और सोच रहा था यदि ये हत्या का मामला है तो कहीं मैं शक के दायरे में आकर बेवजह उलझ ना जाऊँ। यहाँ पर रहने से अच्छा तो मैं कुछ समय के लिये अपने बेटे के पास अमेरिका चला जाऊँ।

पल्लवी और गौरव की बातों को पल्लवी का पति रिजवी बहुत ध्यान से सुन रहा था। वह बोला कि पुलिस ने अपनी जाँच प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। हमसे भी वापिस पहुँचने पर काफी पूछताछ हो सकती है विशेष रूप से तुमसे क्योंकि तुम आनंद नजदीकी महिला मित्र रही हो। तुम उसके साथ कई बार बाहर भी गयी हो और उसने तुम्हे आर्थिक रूप से सक्षम बनाने हेतु बहुत कुछ किया था। पल्लवी ने कहा कि हाँ यह बात तो ठीक है कि मुझसे काफी गंभीरता से पूछताछ हो सकती है परंतु मुझे कोई डर नही है मै जो भी है वह सबकुछ सच सच बता दूंगी। उसने कहा कि छोडो इन बातों जो भी होगा वो वहाँ पहुँचने पर देखा जायेगा इस बात के तनाव से हम अपना हनीमून क्यों खराब करें। यह कहकर वह रिजवी से आलिंगनबद्ध हो जाती है।

राकेश घर पहुँचकर अपने आप को तनाव रहित महसूस कर रहा था। वह संतुष्ट था कि उसकी बात मानते हुये आनंद के परिवारजनों ने पुलिस में मामला दर्ज करा दिया अब सच्चाई सामने आ सकेगी। वह अपने बगीचे में बैठकर आनंद के विषय में सोचते सोचते पुरानी बातों में खो गया था।

आपकी मुस्कुराहट

अंतःकरण में जगाती थी चेतना,

आपके आने की आहट

बन जाती थी प्रेरणा,

आपकी वह स्नेह सिक्त अभिव्यक्ति

दीपक के समान अंतरमन को

प्रकाशित करती थी।

आप विलीन हो गए अनंत में,

संभव नही जहाँ पहुँचना।

अब आपके आने की

अपेक्षा और प्रतीक्षा भी नही।

दिन-रात, सूर्योदय और सूर्यास्त

वैसा ही होता है,

किंतु आपका न होना

हमें अहसास कराता है

विरह और वेदना का।

अब आपकी यादों का सहारा ही

जीवन की राह दिखलाता है

और देता है प्रेरणा

सदाचार, सहृदयता से

जीवन को जीने की।

आनंद एक सफल उद्योगपति के साथ साथ बहुत ही भावुक एवं दयालु व्यक्तित्व का धनी था। वह जीवन में व्यवहारिक व्यक्ति था और उसने अपनी सारी संपत्ति, धन दौलत को चार हिस्सों में बांट दिया था, जिसमें से तीन हिस्से अपनी पत्नी एवं दोनो बेटों के नाम कर दिये थे। चौथा हिस्सा उसने अपने स्वयं के लिये रखा हुआ था। उसके दोनो बेटे दुबई में अपना स्वतंत्र व्यापार करते थे। उसकी पत्नी का अधिकतम समय उसके वृद्ध माता पिता की देखभाल में बैंकाक में बीतता था क्योंकि उसके पत्नी के साथ संबंध मधुर नही थे। वह अपने परिवार को बहुत चाहता था परंतु परिवार से दूर होने के कारण अपने को अकेला महसूस करता था।

एक दिन बातों ही बातों में उसने अपने अकेलेपन की चर्चा की और किसी सुंदर एवं संभ्रांत महिला से मित्रता करने की इच्छा व्यक्त की। वह इस बारे में काफी गंभीर था और अपनी बातचीत में हमेशा इस विषय के बारे जिक्र करता था। एक दिन हम लोग रेस्त्रां में बैठकर आपस में बातचीत कर रहे थे तभी अचानक मानसी वहाँ पर आ गई और मुझे देखकर बोली कि आपको देखकर औपचारिकतावश मिलने आ गई। मैनें उसको भी बैठने के लिये कहा और उसका परिचय आनंद और गौरव से करवाया। आनंद उसकी खूबसूरती और सरल व्यवहार को देखकर दंग रह गया। आनंद ने पुनः सबके सामने अपना पुराना राग अलापना शुरू कर दिया कि मैं बहुत अकेला हूँ और अपार धन दौलत के बाद भी सुखी जीवन से वंचित हूँ। उसकी बात सुनकर मानसी बोली कि सच में आप बहुत दुखी जीवन जी रहे हैं और आपको एक सहारे की बहुत आवश्यकता है। मानसी से आनंद से पूछा कि आपके पास धन दौलत की कोई कमी नही है आपसे तो कई महिलाएँ मित्रता की इच्क्षुक होंगी। यह सुनकर आनंद ने कहा कि दौलत की चाह रखने वाली महिलाओं की कोई कमी नही है परंतु मुझे ऐसी महिला की आवश्यकता है जिसके मन में मेरे प्रति प्रेम और समर्पण हो, जो मेरी भावनाओं को समझकर मेरा सहारा बनकर मुझे संतुष्टि दे सके।

मानसी राकेश की ओर मुस्कुराकर देखती हुयी आनंद से बोली कि आप इनकी मदद क्यों नही लेते हैं ये चाहे तो आपकी इस समस्या को चुटकी में सुलझा सकते हैं। यह सुनकर राकेश बोला कि मैं इस समस्या कि निदान हेतु प्रयासरत हूँ। इस बीच वेटर बिल लेकर आता है गौरव अपना क्रेडिट कार्ड निकालकर वेटर को देते हुये मानसी से बोला आई ऐम ए इंटरनेशनल आर्टिस्ट एंड आई हेव विजिटेड सेवरल कंट्रीज इसलिये मैं हमेशा इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड अपने साथ रखता हूँ इसके बिना मेरा काम ही नही चलता है। थोड़ी देर बाद वेटर वापस आकर कहता है कि सर यह कार्ड छः माह पूर्व समाप्त हो चुका है। यह सुनकर गौरव झेंप जाता है। यह देखकर राकेश नकद भुगतान कर देता है। होटल से निकलते समय आनंद मानसी पूछता है कि आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा अब आपसे कब मुलाकात हो पायेगी ? मानसी मुस्कुरा बोली आप कभी भी राकेश जी के साथ मेरे घर आ सकते हैं। इसके बाद मानसी राकेश के साथ चली जाती है।

एक दिन आनंद राकेश के साथ मानसी के घर जाता है वह उसके घर को बहुत ही व्यवस्थित सुंदर और सुसज्जित पाता है। यह देखकर वह मानसी से पूछता है कि क्या यह आपका फ्लैट है। यह सुनकर मानसी कहती है कि नही मैं यहाँ किराये से रहती हूँ। यह फ्लैट जहाँ में काम करती हूँ उस कंपनी का है। मेरा घर तो पचमढ़ी के पास है, वह बहुत ही